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बड़ी बहन की चुदाई होली की रात

मै दीदी को हमेसा अपने माँ के समान माना था, मेरी दीदी नीलम मुझसे 8 साल बड़ी है, और मैं तो बच्चा हु उनके आगे सच तो ये है कि इस वेबसाइट पे लोगो के ज़िंदगी की बहन की चुदाई कहानिया पढ़के मेरा दिमाग भी ख़राब हो चूका था. मैं अपनी कहानी में बताऊंगा की मैंने क्यों होली में बड़ी बहन की चुदाई की.

 

मेरा नाम राकेश है और मेरी दीदी नीलम है, उनकी शादी हो चुकी है और ये कहानी 3 साल पहले की है. तब दीदी की शादी नहीं हुई थी और वो unmarried थी.

 

मैं नीलम दीदी से काफी छोटा था तो अक्सर उनके रूम में ही सोता था. मैं प्यार से दीदी से चिपक जाया था और कभी मुझे कुछ गलत नहीं लगा.

 

मैं गन्दी कहानिया पढता हु अक्सर ही, मुझे पोर्न देखने से ज्यादा मज़ा गन्दी कहानिया पढ़ने में आता है क्युकी वो मुझे खुदसे जुडी हुई लगती थी और पूरा फील आता है.

 

गन्दी कहानियो में मुझे बड़ी बहन की चुदाई  काफी अच्छी लगती है, तो एक दिन जब मै सगी बहन की चुदाई कहानी पढ़ रहा था तो उसमे बहन जो थी उसका नाम नीलम था. अब मैं कहानी पढ़ रहा था तो बार बार नीलम नाम जब आता तो मुझे अपनी बहन की शकल आँखों में जाती।

 

 

 

अब ये बड़ा मुश्किल हो रहा था, क्युकी मैं बहन की चुदाई में अपनी दीदी को इमेजिन करने लगा.

 

उस दिन पहली बार में लौड़ा अपनी सगी बहन के लिए खड़ा हुआ. दूसरी तरफ उस दिन के बाद से दीदी जब भी मेरे सामने आती तो मेरी नज़र बहन की चूचियों पे जाती तो कभी उसकी गाड़ पे.

 

मुझे खुद से काफी गन्दा फील आता, मैं नज़रे हटाता और खुद को  बुरा भला कहता, की राकेश तुम कितने गंदे इंसान हो की अपनी सगी बहन के बूब्स देख रहे हो, और बड़ी बहन की चुदाई करना चाहते हो.

 

लेकिन मैं चाह के भी खुदपे काबू नहीं कर पा रहा था. सबसे गन्दी हरकत तो मैंने तबकी जब दीदी सो रही थी, मैं नीचे झुक गया और उनके स्कर्ट के अंदर झाकने लगा, मैं दीदी के चूत के पास गया और स्कर्ट के ऊपर से सूंघने लगा.

 

स्कर्ट के ऊपर से भी बहन चूत की स्मेल बहुत सेक्सी लग रही थी. मेरे मन में आया की दीदी के चूत को चाट जाऊ, लेकिन वो बस सपना ही था.

 

 

 

मैं नीलम  दीदी के बगल में लेट गया, और सोने की एक्टिंग करते हुए अपना हाथ उसके ऊपर रख दिया, अब मुझे दीदी का टच अलग फील दे रहा था. मैं अब बस कैसे भी करके बहन  चोदना चाहता था.

 

लेकिन सगी बड़ी बहन की चुदाई करना इतना आसान नहीं होता। डर लगता है की कही दीदी ने गुस्से में घर में बता दिया या मुझसे बात करना बंद कर दिया तो ज़िंदगी खतम हो जाएगी।

 

लेकिन जब सेक्स का भूत दिमाग पे चढ़ता है तो बस चूत ही दिखती है और कोई चीज नहीं दिखती। मैंने दीदी के ऊपर हाथ रखा और हल्का सा दबाया।

 

कोहनी के नीचे वाले हाथ के हिस्से से क्युकी मेरी गाड़ में इतनी दम नहीं थी की हाथ से दीदी की चूचिया दबा दू. बस ऐसे होता रहा थोड़ी देर. लेकिन सच कहु तो इतने में भी मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.

 

दीदी मेरे तरफ पलटी और मेरे ऊपर हाथ रख दिया। मैं थोड़ा सा नीचे गया और अब दीदी की चूचिया मेरे नाक से टच हो रही थी, मैंने अपने मुँह को थोड़ा और अंदर किया अब नीलम दीदी की चूचियों में अपना सर घुसेड़ दिया, नीलम दीदी की चूचियों से बहुत अच्छी सुगंध आ रही थी.

 

मेरा मन हो रहा था की बस दीदी की नंगी चूचिया मुझे मिल और मैं पूरा दूध निचोड़  निचोड़ के पि जाऊ और बड़ी बहन की चुदाई ऐसी करू की उसे अपने बच्चो की माँ बना दू.

 

वो सुगंध मेरे अंदर सेक्स की आग  भर रही थी, बस मन में एहि आ रहा  की नीलम दीदी को चोद चोद के अपनी कुतिया बना लू, मैं बहुत पागल हो रहा था और मौका ढूंढ रहा था  बड़ी बहन की चुदाई करने  का.

 

वो मौका आया होली में, होली में पूरी मस्ती चल रही थी सब लोग आ  जा रहे थे, सब  मज़े कर रहे थे डांस हो रहा था. मेरे घर मेरे मां के बेटे की वाइफ  आयी हुई थी, वो बहुत तेज़ है और मैं थोड़ा सीधा साधा उन्होंने सबको रंग लगाया और मैंने भी उनके गाल में लगाया।

 

भाभी ने दीदी को पकड़ा और उनके टॉप के अंदर कलर डाल दिया और पीछे से भैया ने पूरी भरी बाल्टी रंग डाल दिया। अब दीदी एक दम भीग गयी थी और उनके बूब्स टॉप से चिपक गए थे और पता लग रहे थे साफ़ साफ़. दीदी भीगने के बाद चालू हो गयी वो भी सबको रंग लगाने लगी, अभी तक जो होली शांति से  हो रही थी अब जोर शोर से होने लगी.

 

नीलम दीदी अंदर कमरे में गयी और बहुत सारा रंग ले आयी. लेकिन अब जब उनके ऊपर थोड़ा और पानी गिरा तो उनके निप्पल्स साफ़ साफ़ दिखने लगे.

 

ये समझ गया था की दीदी ने अपनी ब्रा कमरे में उतार दी है, नीलम दीदी की बड़ी बड़ी चूचिया मेरे लौड़े को एक दम टाइट कर दी थी लौड़ा  खड़ा था, मैंने सोचा की मैं भी फायदा उठा लू और मैंने भी दीदी को पीछे से आके रंग लगा दिया चेहरे पे.

 

लेकिन पीछे से पकड़ के रंग लगते हुए मेरा लौड़ा दीदी के गाड़ में घुस रहा था,दीदी ने टॉप पहना हुआ था. मेरा मन हो रहा था की दीदी की होली में चुदाई कर दू. और अभी उसके बूब्स पकड़के रगड़ डालू।

 

 

 

मैं बहिन के पीछे पीछे लगा था पुरे टाइम और जैसे मौका मिलता कोहनी से चूचिया सहला लेता तो कभी गाड़ में पीछे लौड़ा टच करा लेता।

 

थोड़ा टाइम हुआ और होली ख़तम होने लगी, मैं वाशरूम में जाके कलर साफ़ करने लगा. मेरे कलर साफ़  नहीं हो रहा था. दीदी ने मुझे आटा और बेशन का घोल  दिया, उसे रगड़ा मैंने लेकिन नहीं छूट रहा था, मैंने दीदी से कहा की इसे मल दो आके साफ़ हो जाये।

 

दीदी आयी बैठ गयी और मेरे हाथ को पहले साफ़ करने लगी. दीदी मेरे सामने बैठी थी. दीदी की चूचिया मेरी आँखों के सामने आ रही थी और निप्पल्स मुझे पागल बना रहे थे. दीदी ने कहा की राकेश क्या देख रहे हो. मैंने कहा कुछ नहीं  लगता है आज अपने बहुत ज्यादा होली खेली है.

 

दीदी ने हस्ते हुए कहा की क्यो?

 

मैंने कहा की आपके टीशर्ट को देखके लग रहा की अंदर बहुत रंग गया है पूरा कलर चेंज हो गया ह।

 

हाथ साफ़ करते करते २ ३ बार मेरे हाथ दीदी की चूचियों से भी टच हो ग। दीदी से मैंने

 

कहा की दीदी आपका कलर भी इतने आराम से नहीं छूटेगा, आइये मैं आपका कलर छुड़ा द।  मैं दीदी का कलर छुड़ाने लगा, हाथ का रंग छुड़ाते हुए कई बार दीदी का हाथ फिसल के मेरे लौड़े को टच कर गया, दीदी ने ऐसे इग्नोर मारा जैसा की मुझे कुछ पता ही न चला, मैं अब दीदी के पीठ का कलर छुड़ाने लगा, मैंने दीदी से कहा की आप टॉप उतर दो तो मैं सही कलर साफ़ कर दूंग।

 

दीदी ने कहा की तुम पागल हो क्या तुम्हारे सामने कैसे उतारू, मैंने कहा की दीदी मैं तो आपका पीछे बैठा हु कुछ दिख नहीं रहा और वैसे भी मैं आपका छोटा सागा भाई हु, मुझसे क्या शर्मान।

 

दीदी ने मन किया की नहीं ऐसे ही टीशर्ट के अंदर हाथ डालके साफ़ करो, मैंने कहा ठीक है और मैंने टॉप के अंदर हाथ दाल दिया पीछे से, मैं पीठ को साफ़ कर रहा था मुझे लगा की शायद मौका ठीक है  और मैंने हाथ आगे बूब्स पे लगा दिए।

 

नीलम दीदी गुस्सा गयी, बोली तुम्हे शर्म नहीं आ रही है अपनी बहन को आगे से टच कर रहे ह।  मैंने कहा दीदी मैंने तो सोचा की साफ़ कर दू कलर क्युकी भाभी ने आगे से कलर डाला था आपक।

 

 

 

दीदी ने कहा नहीं रहने दो तु।  मैंने कहा की आप मुझे हमेसा गलत समझती हो, मई आपका सागा भाई हु, प्यार करता हु आपस।  दीदी बोली की बाबू मुझे पता है लेकिन बहन हु तुम्हारी ऐसी चीजे भाई बहन के बीच नहीं की जाती ह।

 

ठीक है दीदी कहके मैं आपके रूम में आ गय।  उस दिन वाशरूम में जाके मैंने अपने लौड़े को बहुत देर हिलाया।  पहली बार बहन की चूचिया मेरे हाथो में थी ,

 

शाम के टाइम मैं दीदी के रूम में पढ़ रहा था लेकिन उनसे बात नहीं कर रहा था, दीदी ने कहा क्या हुआ बाबू सुबह की बात के लिए अभी तक नाराज़ हो, मैंने कहा की अपने ऐसे गुस्से में बोलै था मुझ।  वो बोली की तुम पागल ह। और मुझे गले से लगा लिय। शाम का टाइम हुआ और मैं पढ़ते पढ़ते दीदी के रूम में ही सो गय।

 

मेरी आँखे खुली मिडनाइट मे।  दीदी सो रही थी , मेरा मन नीलम दीदी के शरीर से खेलने का हुआ।  उस दिन दीदी ने नाईट सूट पहना हुआ था, मैंने दीदी के बगल में लेता था और कोहनी से बूब्स दबा रहा था, और फिर उस दिन की तरह दीदी मेरी तरफ पलटी, और दीदी का चेहरा मेरे सामने था, मैं थोड़ा नीचे गया और दीदी के बूब्स को सूंघने लगा।

 

इस बारे मैंने थोड़ी हिम्मत करके अपने हाथ दीदी के पैंटी में डाल दिए और हल्का सा टच करने लग। मन में आ रहा था की चूत में हाथ डालके दीदी को मज़े दे दू, लेकिन dar भी लग रहा थ।

 

मुझे जब लगा की दीदी गहरे नींद में है तो मैंने उनके नाईट सूट के टॉप को ऊपर कर दिया थोड़ा और मुँह निप्पल्स को हलके से टच किया,

 

निप्पल्स मेरे मुँह से टच होते ही मेरे अंदर सेक्स की ऐसी आग उठी की मन हुआ की या तो आज दीदी की चुदाई तो जरूर करूँगा फिर इसके बाद मुझे कुछ भी हो जाये।

 

मैंने निप्पल्स को मुँह में भर लिए और हाथ को चड्ढी में डालके चूत को सहलाने लगा, मैं ऐसी एक्टिंग कर रहा था की नींद में हु, सोचा की अगर दीदी पकड़ेंगी भो तो सोचेंगी की नींद में ऐसा हो गया, फिर ज्यादा से ज्यादा मुझे साथ ने नहीं सुलायेंग।

 

धीरे धीरे मैंने अपनी स्पीड बधाई और निप्पल्स को तेज़ से चूसने लगा और हाथ को तेज़ से उनकी चूत में रगड़ने लगा, दीदी हल्का सा हिली और दूसरे सीढ़ी होक सोने लगी।

 

मैंने थोड़ा नीचे गया और दोनों टैंगो के बीच में घुस गया और हल्का सा पैरो को फैला दिय। दीदी की चूत मेरे सामने थी, मैंने नीलम दीदी की चूत को सुंघा, वाह क्या सुगंध थी, मैं दूसरे दुनिआ में थ।

 

मैंने हल्का सा जीभ लगा के चूत को चाटना सुरु कर दिया, दीदी ने अपने पैरो को खोल दिया लेकिन वो नींद में ही थीजीभ दीदी के चूत के अंदर डाल दी और चाटने लगा कुत्ते के जैसे।

 

दीदी ने मेरे सर को अपनी चूत के अंदर घुसेड़ना सुरु कर दिया, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था की दीदी सो रही या जग रही है, मैं तेज़ तेज़ से दीदी की चूत चाटने लगा और हाथ से ऊपर चूचियों को भी मसल रहा था,

 

अचानक दीदी ने आंखे खोल दिया, वो रोने लगी और बोलो की बाबू तुम मेरे सेज भाई हो कितना ट्रस्ट और प्यार किया था तुमसे और तुम ये क्या कर रहे हो, मैंने कहा की दीदी सब गलती से हो गय।

 

दीदी ने कहा कुत्ते हाथ तो बहार निकल मेरी चूत से, मैंने कहा की दीदी ठीक और और ज़ोर से चूत में फिंगरिंग करने लगा, दीदी बोलो की तू सेल कितना मादरचोद है रे राकेश अपनी बहन ही मिली हैं तुझे चोदने के लिए, मैंने कहा दीदी आपसे सुन्दर कोई नहीं मिला

 

दीदी ने मेरा सर पकड़ के अपनी चूत में घुसेड़ लिया और बोली ले कुत्ते पूरी कर ले अपनी आग खा जा अपनी सगी बहन की चूत।  दीदी के ऐसे शब्द सुनके मेरे अंदर और आग लग गयी और पैरो को पूरा खोल के चूत में पूरा हाथ डाल दिया दीदी चिल्लाने लगी।

 

अरे कुत्ते बहन हु तेरी रंडी नहीं, ऐसे बतमीज़ी मत कर, मैंने माफ़ी मांगी और प्यार चूत को चाटने लग।

 

मैं नीलम दीदी के ऊपर लेट गया और उनके चूचियों को चूसने लगा, दोनों बूब्स को निचोड़ निचोड़ के चूस।  मैंने दीदी को बिना बताये उनके मुँह में अपना लौड़ा घुसेड़ दिय।

 

उन्होंने मुझे धक्का दिया बोली की अब बस बहुत हो रहा ये मैं नहीं करुँगी, मैंने कहा वाह साली कुतिया अपनी चूत इतनी देर मुझसे कुत्ते की तरह चटवाया तो नहीं अब लौड़ा चाटने में नानी याद आ रही, बोलो की मैं तेरी बड़ी दीदी हु जो चाहु कर सकती ह।

 

मैंने कहा की दीदी अपने छोटे भाई का लौड़ा एक बार चूसो तो हमेसा चूसने को प्यासी हो जाओगी और ये कहते हुए मैंने जबरदस्ती नीलम दीदी के मुँह में डाल दिय।

 

दीदी ने कहा की छी कितना गन्दा है ये।  मैंने उसके बाल पकड़ के लौडा मुँह में अंदर बहार करने लगा।  थोड़ी  के बाद वो अब मज़े लेके लौड़ा चूसने लग।

 

काफी देर तक ये सब होने के बाद मैंने कहा की दीदी आज अपने भाई का सपना पूरा करदो और अपनी चूत में मेरे लौड़े को प्रवेश करने दो।

 

बोली नहीं इतने आराम से नहीं एक वादा करो पहले, मैंने कहा की आज आपके कुछ भी करू , बोलो क्या है वो बोली की ये आखरी बार है इसके बाद ये नहीं होगा।  मैंने कहा ठीक हो और उनके पैरो को फैला के लौड़ा अंदर डाल दिया,

 

दीदी चिल्ला दी की तुम एक दम मादरचोद हो राकेश, अपनी बहन  के दर्द से कोई मतलब नहीं है तुम्ह। मैंने बोलै ओके बेबी अब प्यार से करूंगा।  दीदी को चुदाई में बहुत मज़ा आ रहा था और चूत उठा उठा के मेरे लौड़े का मज़ा ले रही थ।

 

फिर अंत में उस रात दीदी को रात में २ बार चोदा।  सुबह दीदी ने मेरी तरह गुस्से से देखा और बोली तुम तो बड़े खुश होंगे इतना कांड कर दिया।  मैंने कहा की मैंने कुछ नहीं किया ह अपने किय।

 

दीदी बोली की थप्पड़ खाओगे तुम।  दीदी बहार जाने लगी मैंने दीदी को पीछे से पकड़ लिया और बोला दीदी दूध पीना है, और बूब्स बहार निकल के चूसने लग।  दीदी मेरे लौड़े को सहला रही थी, मैंने दीदी को लेटाया और चूत चाटने लगा वापस स।

 

उस दिन के बाद से दीदी मुझे गिर्ल्फ्रेंड वाले सरे मज़े देदी ह।

 

सौ बात की एक बात ये है कि मेरा जब भी मन होता दीदी की चूचिया दबा देता पीछे से, मैंने दीदी को कई बार किचन में चोदा भी ह।  दीदी शादी के बाद भी जब घर आती है तो हम खूब चुदाई करते ह। 

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