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नौकर और मालकिन की चुदाई कहानियाँ Pyasi malkin ki chudai kahani

मैं १६ साल की उस कच्ची उम्र में मासूम कली थी. मैं नही जानती थी की चुदना क्या होता है. मैं नही जानती थी की मेरी माँ बंद कमरों में कौन सा काम करती थी. माँ बस यही कहती थी की मैं फला कस्टमर के साथ बैठने जा रही हूँ. वो कसाईं जो मेरा पहला पहला कस्टमर था, मुझे ललचाई नजरों से घूर रहा था. मैं नही समझ पा रही थी की आखिर वो किस बात के लिए घूर रहा था. माँ ने मुझे अंडर कमरे में भेज दिया.

इस बिल्डिंग में जिसे मेरी माँ घर कहती थी ये ३ मंजिला बिल्डिंग थी. शाम ३ बजे से मेरी माँ और बाकी सभी लडकियाँ और औरते सजना शुरू हो जाती थी.वो चमकीले सलवार सूट पहनती थी. औरते तड़क भड़क वाली साड़ी पहनती थी और होंठों पर भरी लिपस्टिक लगाती थी. मेरी माँ भी ठीक ऐसा ही करती थी. आज मैं भी अपना पहला धंधा करने जा रही थी.ऐ अब्दुल!! जरा आराम से करना. लड़की अभी कुछ नही जानती है, जादा दर्द ना हो! मेरी माँ ने मेरे उस पहले कस्म्टर से कहा. मैं अंदर कमरे में चली गयी. मेरा कस्टमर अंदर आ गया. उसने दरवाजा बंद कर लिया और कुण्डी लगा दी.

 

मुझे उसके कुण्डी लगाने पर जरा शक हुआ. वो मेरे पास आकर बिस्तर पर बैठ गया. मुझे घूर के देखने लगा. मेरा चेहरा बहुत मासूम था. लम्बा पतला चेहरा था मेरा. मैंने सलवार सूट पहन रखा था. मेरे मम्मे काफी बड़े बड़े निकाल आये थे. मेरी माँ ही मेरे लिए ब्रा और पैंटी लेकर आती थी. मेरा कस्टमर मेरे पास आकर बैठ गया. मैं बिल्कुल नही जानती थी की आगे क्या होगा.

ऐ लैला! तू बड़ी खूबसूरत है रे!! वो बोला.

तू जानती है तू क्या करने इस कमरे में आयी है ! उस कसाई ने पूछा.

हाँ! मैं तेरे साथ बैठने आई हूँ मैंने कहा. वो ललचा गया. उसकी आँखों में मेरी सीलबंद चूत और मेरे कुंवारे मम्मे ही तैर रहें थे. वो मुझे बुरी तरह चोदने वाला था. पर मैं कुछ नही जानती है. उसने अपने कपड़े निकाल दिए. शर्त और पैंट निकाल के सिर्फ कच्चे में मेरे पास आया गया. उसने अपने दोनों हाथ मेरे कंधों पर रख दिए.

ये क्या कर रहें है? तुम मेरे साथ बैठने आये हो तो बैठो. मुझे छू क्यूँ रहें हो?? मैंने कहा और अपने कंधों से उसका हाथ हटाने लगी. मेरा पहला कस्टमर जान गया की मैं कुछ नही जानती हूँ. मेरी माँ ने तो उसे बताया की था की लड़की धंधे में नई है. कुछ नही जानती है. ये चुदाई कहानी आप निऊ हिंदी सेक्स स्टोरिज़ डॉट कॉम पर पड़ रहे है। वो मुस्कुरा दिया. अचानक उसने एक रुमाल लिया और जबरन मेरे मुँह पर बाँध दिया. छोडो!! ये क्या कर रहें हो?? छोडो मुझे!

चिल्लाने लगी. पर वो मोटी तोंद वाला ४० साल का कसाई बड़ा दुस्त निकला. जिस तरह वो अपनी बकरी को रस्सी से बाधता था, उसी तरह उसने मेरे दोनों हाथ उपर करके बाँध दिए. मेरे मुँह पर उसने रुमाल इतनी जोर से खींचकर बाँधा की मेरा मुँह दर्द करने लगा. मैंने रोने लगी. मेरी आँखों से बड़े गरम गरम आशू निकल रहें है. उस कस्टमर ने मुझे बिस्तर पर पटक दिया. जब मैं दोबारा उठने लगी तो उसने मुझे ३ ४ थप्पड़ इतनी जोर से मार दिए की मेरा सिर झन्ना गया. मेरे सिर् से खून भी निकलने लगा.

 

मैं बेहद डर गयी थी. मैं सिसक रही थी, रो रही थी, मैं अपनी माँ को कोस रही थी और गालियाँ दे रही थी जिसमे ३० हजार रुपयों के लिए मेरे जिस्म का सौदा किया था. मैं अब उस कस्टमर को नही सिर्फ और सिर्फ अपनी माँ को कोस रही थी. मैंने आधे घंटे तक सिसक सिसक फफक फफक के रोती रही. फिर चुप हो गयी. कस्म्टर ने एक जोर का झटका दिया और मेरा सूट फट गया. फिर उसने मेरी ब्रा भी फाड़ दी. मेरे २ मस्त मस्त गोल गोल मम्मे सामने आ गए. मैंने कोई विरोध नही किया वरना वो मुझे फिर से पीटता. उसने फिर मेरी सलवार भी फाड़ दी.

मेरी जाली वाली पैंटी भी फाड़ दी. मैं नंगी हो गयी. मेरी चूत उसको साफ साफ दिखने लगी. अब मैं उसके सामने पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी. मैंने अपने दोनों जाघों को जोड़कर अपनी चूत को ढकने की असफल कोसिस की, पर मैं कामयाब ना हो सकी. उस निर्दयी आदमी से मेरे दोनों पैर खोल दिए.ये चुदाई कहानी आप निऊ हिंदी सेक्स स्टोरिज़ डॉट कॉम पर पड़ रहे है। वो पूरा का पूरा मुझपर आकर लेट गया था.

मैं अभी भी रो रही थी. वो मेरे बिल्कुल करीब आ गया. सिर से पाँव तक उसने मुझको घूर के देखा. फिर अपना मुँह उसने खोला, मेरे दूध के पास आया और पीने लगा. मैं रो रही थी, पर मेरे पहले कस्टमर को कोई फर्क नही पड़ रहा था. मेरे रोने से मेरे लंबे खूबसूरत बाल बिखर गए थे और कई तो टूट भी गए थे. मैं इतनी गोरी थी की दूध की तरह थी. वो जहाँ जहाँ अपने हाथ मुझ पर रख देता था, मेरे गोरे जिस्म से मेरे नसों का खून दिखने लग जाता था. इसी से आप अंदाजा लगा लीजिए की मैं कितनी गोरी थी. मेरा कस्टमर आज १६ साल की फूल सी लौंडिया चोदने खाने जा रहा था. उसकी नजरे मुझसे और मेरे जिस्म से हटती ही नही थी. वो मेरे मम्मो को पिए जा रहा था. दूसरे हाथ से उसने मेरा दूसरा दूध पकड़ रखा था और जोर जोर से दबा रखा था. मेरी एक निपल को वो अपने दांत से और दूसरी छाती के निपल को वो अपनी उँगलियों से मसल रहा था.

 

वो मेरे जिस्म का एक एक भाग नोच रहा था. मैं अभी भी सिसक रही थी. वो वासना ने भरके मेरे दोनों दूध पी रहा था. कुछ देर तक वो मेरे दूध पीता रहा. फिर उसने अपना कच्छा निकाल दिया. वो आकर मेरे सीने पर बैठ गया. मेरा पहला कस्टमर बहुत मोटा और भारी सांड की तरह था. मैंने उसका मोटा लंड देखा. काला कलूटा मोटा लंड था. बड़ा मोटा सा सुपाडा था उसका. उसने मेरे मुँह से रुमाल खोल दिया और लंड मेरे मुँह में डाल दिया. मैं मना नही किया वरना वो फिर से मुझे मारता पीटता. मैं ये बात अच्छी तरह से जानती थी. इसलिए मैंने अब कोई नाटक नही किया.

लैला! चल चूस इसको! वो बोला.

मैंने कोई ड्रामा नही बनाया. मैं उसका लंड चूसने लग गयी. फिर कुछ देर बाद उसने मेरे दोनों हाथ खोल दिए. मैंने उसका मोटा और काला लंड हाथ में ले लिया. मैंने उसके कहेनुसार उसके लौडे को हाथ से फेटने लग गयी. फिर मुँह में भरके चूसने लगी. कुछ देर बाद मुझे अच्छा लगने लगा. मैं मस्ती से सिर हिला हिला के उसका लौड़ा चूसने लगी.

आज मुझे सब कुछ पता चल रहा था. मेरी माँ इन बंद कमरों में क्या करती थी. लोग उसको किस बात के पैसे देते थे, आज मुझे सब पता चल रहा था. मेरे इस पहले कस्टमर का लंड सच में बहुत लम्बा था. मेरी नटटी तक वो जा रहा था. उसके पैर और सीने पर बहुत बाल थे. मैं उसका लौड़ा चूस रही थी, और वो मेरे मम्मे दबा रहा था. ये चुदाई कहानी आप निऊ हिंदी सेक्स स्टोरिज़ डॉट कॉम पर पड़ रहे है। मेरी भुंडियों को हल्का हल्का मजे से मसल रहा था. कुछ देर में मुझे और जादा मजा आने लगा.उसने मेरे सिर को पकड़ लिया. मेरी ठुड्डी पर अपना हाथ रखा और धीरे धीरे मेरे मुँह में अपना लंड अंडर बाहर करने लगा.

अब वो मेरे मुँह को चोद रहा था. मैं धीरे धीरे अब सब कुछ समजने लगी थी. मेरी माँ भी इसी तरह चुदवाती होगी हर रोज. वो मेरे मुँह को चोदने लगा. उसका लंड सच में बहुत मोटा था. मेरे पूरा मुँह  उसके लंड से ठूस गया था. मुझे बहुत कम साँस आ रही थी. मेरे पहले कस्म्टर ने मेरे दोनों हाथ उसकी गोलियों और झांटो पर रख दिए थे. मैं उसकी गोलियाँ और झांटे सहला रही थी. वो बिल्कुल यही चाहता था. वो मुझे बड़े प्यार से चोदना खाना चाहता था. बड़ी देर तक वो मेरा मुँह चोदता रहा. फिर उसने अपना बड़ा सा हाथी जैसा लौड़ा मेरे मुँह से निकाल दिया. एक बार फिर से वो मेरे मम्मे पीने लगा. फिर उसने अपना मोटा लौड़ा मेरे दोनों मुलायम मुलायम मम्मो के बीच में रख दिया.

 

उसने मेरे दोनों मम्मे आपस में ब्रेड की तरह जोड़ दिए और अपने बड़े से लौडे से मेरा मम्मे चोदने लगा. आह मुझे अच्छा लगा दोस्तों. मुझे नही पता था की लौडे ने मम्मे भी चोद सकते है. मैं मजे लेने लगी. वो मेरे दोनों मम्मो को जोड़कर मुझे चोदने गला. मेरी दोनों मलाईदार मम्मे मेरी चूत जितने नरम थे. वो खप खप करके चोदने लगा. कुछ देर बाद वो मेरी चूत पर आ गया. मेरी बुर बिल्कुल कुंवारी थी. इसी बात के तो उसने ३० हजार रुपए चुकाए थे. मेरी कुंवारी चूत को चोदने के लिए उसने इतना जादा पैसा चुकाया था. मेरा पहला कस्टमर अब मेरी कुंवारी चूत को पी रहा था.

मेरे बुर के होंठ खोल खोल के वो पी रहा था. मुझे नही पता था की चुदना और चुदवाना क्या होता है. पर आज मैं सब कुछ सीख जाउंगी. मैं ये बात जानती थी. फिर वो अपने लंड को फेटने लगा. कुछ देर की मशक्कत के बाद उसका लंड पत्थर जैसा कठोर हो गया.ये चुदाई कहानी आप निऊ हिंदी सेक्स स्टोरिज़ डॉट कॉम पर पड़ रहे है। उसने मेरी चूत पर अपना बड़ा सा लौड़ा रख दिया और निशाना साधा. और जोर से अंदर धक्का दिया. मेरी बुर के दोनों होठ किनारे को भाग गए. मेरी चूत फट गयी. मैं दर्द से रोने लगी. मेरी बुर से खून बहने लगा.

कस्टमर ने मेरे मुँह पर अपना हाथ रख दिया जिससे मेरे आवाज कोई ना सुन सके. वो मुझे जल्दी जल्दी जोर जोर से हच हच करके चोदने लगा. मेरी गुलाबी गुलाबी चूत से लाल लाल खून निकलने लगा. मेरे जैसी देसी लौंडिया को वो किसी मुर्गी की तरह नोच खसोट रहा था. वो मुझे दर्द में ही जल्दी जल्दी चोद रहा था. उसे मेरी कोई परवाह नही थी. मेरी चूत से सील टूटने के कारण हलकी हल्की खून की फुहारे निकल रही थी. मैं रो रही थी. कस्टमर ने मुझे कष्ट में डाल दिया था. शायद वो मुझे दर्द में चोद चोद के अपना पैसा वसूल कर रहा था. मेरे मुँह पर उसने अपना हाथ बड़ी जोर से दबा के रख रखा था. वो मुझे दबाकर चोद रहा था.

मेरी चूत में जैसे आग लग गयी थी. मेरी चूत में बहुत दर्द हो रहा था. मैं उससे चुद रही थी. आज मैं एक असली रंडी बन गयी थी. कुछ देर बाद वो मेरी चूत में झड गया. आज मैं एक पेशेवर रंडी बन गयी. वो बगल लेट गया. मैंने पास पडी रुई के पैकेट से रुई फाड़के निकाली और अपनी बुर को पोछने लगी. सफ़ेद रुई मेरे लाल खून से रंग गयी. मैं भी लेट गयी. कुछ देर बाद मेरा दर्द कम हुआ.

क्या तुम मुझे और चोदोगे?? मैंने मासूमियत और सीधेपन से पूछा

हाँ २ घंटे और. तुम्हारी नथ उतरने की मोटी फ़ीस दी है. पुरे ३० हजार दिए है तेरी माँ को !! कस्टमर बोला.

मैं जान गयी की वो मुझे अभी और चोदेगा.

चल रंडी कुतिया बन !! वो बोला

दोस्तों, मैं नही जानती थी की कैसे कुतिया बनते है.

कैसे? मुझे बताओ! मैंने कहा. कस्टमर हँसने लगा. उसने मुझे बताया. मैं कुतिया बन गयी. उसके बाद तो उसने मुझे लगातार २ घंटे पीछे से मेरी चिकनी पीठ सहला सहलाकर पेला. मेरी चूत को उसने अच्छे से मांजा. मेरा बुर फाड़के उसका छेद बड़ा कर दिया उसने. फिर वो मेरी चूत में झड गया. २ दिन बाद वो फिर आया. जब बाकी कस्टमर मुझे चोदने के या कहे मेरे साथ बैठने के ५०० रुपए देते थे, वो मुझे कभी १००० कभी डेढ़ हजार देता था.

वो हर दूसरे दिन आता था और किसी और रंडी के साथ कभी नही बैठता था, सिर्फ मेरे साथ ही बैठता था. इस तरह आज ४ साल पुरे हो चुके है. मैं उससे चुदवा रही हूँ. आज भी वो सिर्फ मुझको चोदने आता है. बाकी कस्टमर से हर बार मुझको जादा पैसा देता है. मुझे लगता है सायद वो मुझसे प्यार करने लगा है.कैसी लगी मेरी सेक्स कहानी , अच्छा लगी तो जरूर रेट करें और शेयर भी करे ,अगर कोई मेरी चुदाई करना चाहते हैं तो जोड़ना  देसी कॉल गर्ल 

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